मंगलवार, 6 मई 2008

यह लोग इसी देश में रहते हैं

चित्रकूट जिलान्तर्गत मऊ तहसील के थाना बरगढ़ के गाँव नेवादा में एक महिला मिली। उसका नाम था, द्वीजी।
वह पत्थर उठाने का काम कर रही थी। उसके हाथ बुरी तरह छिले हुय थे। आपके हाथों की यह हालत है फ़िर आप काम क्यों करती हैं, यह पुछने पर उसका जवाब था -

'यदि काम नहीं करूंगी तो खाउँगी क्या?'
ऐसी ही हालत थी गोइयाँ की।

यह लोग यहाँ पत्थर उठाने का काम करते हैं। इन्हे एक ट्रक पत्थर भरने के बदले मिलता है। १५०० रुपया। एक ट्रक पत्थर भरने में पांच लोगों को सुबह ८ बजे से शाम ८ बजे तक काम करने के बाद एक महीना लग जाता है। क्योंकि इन्हे सिर्फ़ पत्थर भरना नहीं होता। बल्कि उसे जमीन से पहले काटकर निकालना भी होता है। इस काम में सबसे बुरी हालत होती है बच्चों की।
क्या इस विषय में कोई सोचने वाला है?

1 टिप्पणी:

Udan Tashtari ने कहा…

तकलीफ होती है इनके हालातों पर. विचारणीय है.

आशीष कुमार 'अंशु'

आशीष कुमार 'अंशु'
वंदे मातरम