शुक्रवार, 31 अक्तूबर 2008

बिहार मुख्यमंत्री के नाम खुला पत्र (बाढ़ हेतु))


नीतीश जी,हमहूं देख आए कोसी बाढ़। सब तरफ झूठ लिखा जा रहा है। झूठे-झूठ हो राम। नीतीश जइसन कोई ना शरीफ हो भाई। बाकी सब झूठे-झूठ हो राम। कुछो गड़बड़ी नहीं है। मीडिया हाइप है। सामाजिक कार्यकर्ता घर से वेल्ले हैं। बैठे-ठाले उनको एक काम मिल गया है। सब तरफ सुशासन ही सुशासन है। सब तरफ आनन्द ही आनन्द है। लोगों का घर-दुआर, सर-सामान सब पानी में बह गया है। लेकिन सब ठीक है। दाने-दाने को लाखों लोग मुहताज हैं, लेकिन सब ठीक है। कुपोषण महामारी की तरह पूरे बाढ़ग्रस्त इलाके में फैल गया है, लेकिन सब ठीक है। बाढ़ पीड़ितों की स्वास्थ चिकित्सा में लगे अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (दिल्ली) के चिकित्सक डा। हर्ष ने बताया कि उनके लिए सुपौल (बिहार) में ईलाज के लिए आई 90 फीसदी महिलाएं एनिमिया की शिकार थीं। उनका कहना था कि सरकार की तरफ से यहां अविलम्ब आयरन की गोलियां नि:शुल्क वितरित कराई जानी चाहिए। लेकिन सर घबराने का कोई जरूरत नहीं है, क्योंकि सब ठीक है। पीलिया पंचायत लक्ष्मीनिया की दुलारी देवी अपनी गर्भवती बहू को लेकर एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल जाती रही। कोई डाक्टर उसे देखने को तैयार नहीं था। डाक्टर उसे एक जगह से दूसरी जगह रेफर कर रहे थे। इसी आवाजाही तथा बाढ़ और चिकित्सा सेवा की ‘महा-मारी’ में वह गर्भवती महिला अपने बच्चे के साथ चल बसी। दुलारी अपनी बहू को बचा नहीं पाई। लेकिन सर इसके बाद भी हमको कोई संदेह नहीं है कि बिहार सरकार चुस्त है और उहां का प्रशासन बहुत ही दुरुस्त है। सर हेलिकापटर से खाना गिराया गया है। नाव से बंटा है खाना। लेकिन जो बांटने वाला था और जो बंटवाने वाला था, ऊ सब अधिक भुखाया हुआ था। इसलिए जम के खाया भी गया सर रिलीफ फंड से अधिक रिलीफ किसका होता है? यह सवाल हमेशा ही उठता रहा है। कभी गलती से जांच कमिटी भी बैठ जाए तो क्या होगा? कभी वह तेलगी (अब्दुल करीम) जांच कमिटी साबित होगी तो कभी मेहता (हर्षद) जांच कमिटी। आप ही बिहार में असली राम राज लेकर आए हैं। आपके सहरसा के पटेल मैदान में लगे मेगा राहत शिविर में एक कराह में बनी खिचड़ी को सूअर को खाते और वही खाना फिर बाढ़ पीड़ितों में बंटते देखा गया। इससे क्या होने-जाने को है, बाकी सब ठीक है। कोई इस बात को समझ नहीं रहा है कि अभी आपकी सरकार है, इसलिए बाढ़ पीड़ितों को एक वक्त का कच्चा-पक्का खाना मिल जाता है। कोई दूसरी सरकार होती तो यह भी नहीं मिलता। सर याद कीजिए अरुण जी (जेटली) ने किस तरह पूरे देश में फीलगुड का इन्वायरमेंट क्रिएट किया था और एक आप हैं जो बिहार की एक चौथाई जनता को फीलगुडिया नहीं कह सकते हैं। याद कीजिए आप जेपी आंदोलन से जुड़े हुए लोगों में से हैं। क्यों भूल जाते हैं। मुझे याद है कि आपकी आस्था श्रीराम पर गहरी है। इसलिए बाढ़ पीड़ितों को आपने राम भरोसे छोड़ रखा है। लेकिन आप भूल जाते हैं, चुनाव में फिर वोट लेने के लिए आपको जनता के बीच में ही आना है। प्रमोद जी (महाजन) तो अब रहे नहीं। सर आप मेरी मानिए तो अरूण जी को हायर करके बिहार में एक फीलगुड यज्ञ करा लीजिए। सर, आपही कहे थे बाढ़ पीड़ितों से, ‘आपकी पीड़ा हम अंतिम दम तक दूर करेंगे।’ और सरकार अब आपकी वही बाढ़ पीड़ित जनता कराह-कराह के साफ-साफ कह रही है, ‘हमारा आखिरी दम भी अब निकल चुका है।’ आपका शुभेच्छु
बिहार वासी

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आशीष कुमार 'अंशु'

आशीष कुमार 'अंशु'
वंदे मातरम