मंगलवार, 28 अप्रैल 2009

जूतों और पानी की सेवा

जूतों और पानी की ऐसी निष्काम सेवा देखी आपने कहीं.
शायद सन्देश देने वाले का भाव यह रहा हो कि मन्दिर प्रांगन में आने वालों के जूतों की रखवाली की सुविधा मन्दिर प्रशाशन की तरफ से यहाँ हैं और जिन्हें प्यास लगी हो उनके लिए पानी की व्यवस्था भी यहाँ उपलब्ध है.
(यह तस्वीर भटिंडा रेलवे स्टेशन के पास स्थित हनुमान मन्दिर धर्मशाला प्रांगन की है)

1 टिप्पणी:

अखिलेश्‍वर पांडेय ने कहा…

आशीष भाई,
आप जिस जूता सेवा पर मुग्‍ध हो रहे हैं यह देश उसे बहुत पीछे छोड चुका है। आजकल नेताओं की सेवा जूतों से पब्लिक किस तरह कर रही है, इस पर गौर फरमायें। अभी-अभी खबर मिली है कि कर्नाटका के मुख्‍यमंत्री येदिरप्‍पा पर किसी ने चप्‍पल फेंक दिया है। दो दिन पहले मनमोहन सिंह, उसके पहले आडवाणी और चिदंबरम की जूता सेवा आप देख ही चुके हैं। इस देश में हवा अब उल्‍टी बहने लगी है। राम अगर होते तो शायद बचाते- फ‍िर भी कहता हूं- राम बचायें।

आशीष कुमार 'अंशु'

आशीष कुमार 'अंशु'
वंदे मातरम